राजेश झाला ए.रज़्ज़ाक|
महावीर सेना ने भाजपा सेना को हाशिए पर ला खड़ा कर दिया है | विगत दिवस मुख्यमंत्री शिवराज सिंह एवं भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के आगमन पर जावरा वासियों ने एट्रोसिटी एक्ट तथा जातीय आरक्षण के विरुद्ध अपना अहिंसात्मक विरोध दर्ज करवाया, जो प्रजातंत्र का सबसे सशक्त तरीका है| भाजपाइयों ने स्थिति भांपकर जबरदस्त सरकारी बंदोबस्त किया| यह कैसा लोकतंत्र है, जो नेता जनप्रतिनिधि होने का दावा करते हैं, वह जनता को अपमानित कर रहे हैं| शायद अब सत्ता के नशे में चूर सत्ताधारियों को मतदाताओं की शक्ति का पता चल जाएगा कि, आयातित भीड़ का बंदोबस्त कर देश प्रदेश के लोगों को अब कोई गुमराह नहीं कर पाएगा | प्रदेश के सीएम अपने आप को स्वयंभू मामा बोल कर जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा बेतरतीब योजनाओं में लगाकर, अल्पकालीन खैरात बांटने में लगे हैं, जिससे युवाओं के स्वाभिमान पर लग रही है| गर्भधारण से लगा कर भरण-पोषण, पढ़ाई-लिखाई, शादी-विवाह, बिजली, मकान सब ही भाजपाई करेंगे तो, फिर देश का युवा सिर्फ धारा 497 एवं 377 के अपमान का घूँट पीने के लिए ही जिंदा रहेगा क्या ? मध्य प्रदेश के मतदाता उदारवादी है वह उग्र विचारकों को घास नहीं डालते हैं| 6 जून 2017 को जिन किसानों पर सरकारी गोलियां बरसाई गई, वह किसान भाजपाइयों पर कैसे फूल बरसाएगे! यही कारण रहा कि संभाग स्तर की भाजपाई किसान सभा में असली किसान नहीं आए इसलिए लाख-पिचोत्तर हजार की भीड़ का दावा करने वाले सत्ताधारियों को मुंह की खाना पड़ी| सीएम एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष की अगुवाई में बाहर से लगभग 7 या 8000 की भीड़ की व्यवस्था ताबड़तोड़ करना पड़ी| सपा के कुछ अति उत्साहित लोगों ने तंज कसते हुए कहा कि, हमारी भोपाल रैली धरना आंदोलन को कमजोर करने वालों की मध्यप्रदेश में ही नहीं छत्तीसगढ़, राजस्थान में भी आमजन के बीच ऐसी ही कलई खुलने का वक्त आ गया है| वही करणी सेना से जुड़े राजपूतों ने कहा कि, उज्जैन की महारैली से सत्ताधारी बोखला गए हैं| वही ब्रांडेड अखबार जो सरकारी विज्ञापनों के मोहताज हैं| ऐसी मीडिया ने भी राजपूतों की ताकत का अखबार में सही मूल्यांकन नहीं किया| कारपोरेट जगत की गिरफ्त में भारतीय मीडिया के आने से पूंजीवाद हावी होता नजर आ रहा है जो स्वस्थ प्रजातंत्र पर कलंक है|

