राजेश झाला ए.रज़्ज़ाक|
एट्रोसिटी एक्ट का विरोध करने वाले देश के विभिन्न वर्गों तब को समूहों को सत्ताधीश चुनौती नहीं मानते हैं| भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा सपाक्स सहित अन्य जाति विशेष की एकजुटता से इत्तेफाक नहीं रखते हैं| झा अखिल भारतीय कांग्रेस को खत्म करने में लगे हैं| ऐसे में नए संगठन से भाजपा को कोई नुकसान नहीं होने वाला है| भाजपा के शीर्ष नेता अति विश्वास में मतदाताओं की भावनाएं जाने बिना ही मीडिया में बढ़-चढ़कर बयान बाजी कर रहे हैं| देश प्रदेश वासियों की गाढ़ी कमाई के पैसे से आधी अधूरी त्रुटिपूर्ण असमान योजनाओं से, योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रहा है| नेताजी अहंकार से परिपूर्ण है, आमजन की दैनिक समस्याओं का हल सरकार के पास नहीं है| विपक्ष के बयानों को एक सिरे से खारिज करने में सत्ता पक्ष की जुमलेबाजी से मतदाता हैरान है| निरंकुश नेतागिरी चरम पर है, किसान, मजदूर कर्मचारी, व्यापारी, छोटे-छोटे व्यवसायियों की भावनाओं के विपरीत सरकार की नीतियों से हर वर्ग परेशान है| बेरोजगार लोग किसी भी पार्टी की शोभा बढ़ाने के लिए भीड़ इकट्ठा करने के ठेके ले रहे हैं| भाजपा नेता की कुछ बातों में दम इसलिए भी दिखाई देता है, कि पिछले वर्ष नवंबर 2017 में मध्यप्रदेश के रतलाम मुख्यालय पर राजपूत क्षत्रिय ठाकुर समाज के कई ठाकुर, दरबार, युवराज, बना, सहित क्षत्राणिया भी आरक्षण के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन करने रतलाम पधारे| किंतु अति उत्साह में नेता आरक्षण की ज्वलंत समस्या को छोड़ “पद्मावती” फिल्म के अल्पसंख्यक भंसाली के खिलाफ फूहड़ नारेबाजी कर अपने उद्देश्यों से भटक गए थे| हालांकि राजपूत बलशाली होते हैं, इसीलिए कुछ कूटनीतिक अपनी स्वार्थ पूर्ति के चक्कर में आम राजपूत समाज को गुमराह किया| इलेक्ट्रॉनिक मीडिया स्टिंग ऑपरेशन हुआ तो, राजपूतों की भावनाएं आहत हुई| ऐसे में भाजपा नेताओं का यह कहना कि उक्त समाज हमारे लिए चुनौती नहीं है| यह तथ्यात्मक रूप से सही है! किंतु अब देश और प्रदेश का राजपूत किसी राजनीतिक पार्टी के यहां गिरवी नहीं पड़ा है| हां कुछ तो हर समाज में होते हैं, ऐसे गद्दारों से अब सतर्क है|

