झाबुआ। इकबाल हुसैन
पीसीएंडपीएंडडीटी एक्ट के तहत जिले मे कार्यवाही करने के लिये एवं गर्भ मे बालिका भू्रण हत्या को रोकने के लिये जिला अधिकारियो की कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला मे कलेक्टर श्री प्रबल सिपाहा, सीईओ जिला पंचायत श्रीमती जमुना भिडे, सभी एसडीएम एवं जिला अधिकारी उपस्थित थे। बैठक मे पीसीएंडपीएंडडीटी एक्ट के प्रावधान एवं सजा तथा जुर्माने की विस्तृत जानकारी दी गई। कार्यशाला मे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी श्री चैहान, प्रभारी अधिकारी पीसीएंडपीएंडडीटी एक्ट डाॅ बघेल जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री आर एस बघेल सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। कार्यशाला मे कलेक्टर श्री सिपाहा ने एसडीएम एवं संबंधित अधिकारी को सोनोग्राफी सेंटर पर आकस्मिक विजिट करने के लिये एवं अवैध तरीके से संचालित सोनोग्राफी सेंटरो पर कार्यवाही करने के लिये निर्देशित किया। साथ ही सोनोग्राफी सेंटर पर ट्रेकर है, यह भी सुनिश्चित करने के लिये संबंधित अधिकारियो को कलेक्टर श्री सिपाहा ने निर्देश दिये।


पीसीएंडपीएंडडीटी एक्ट भारत मे कन्या भू्रण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिये भारत की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्री नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक पीएनडीटी एक्ट 1996 के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है। ऐसे मे अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोडे या करने वाले डाॅक्टर लैबकर्मी को तीन से पांच साल सजा और 10 हजार से 1 लाख तक जुर्माने की सजा का प्रावधान है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा मांग के अनुसार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पूर्व गर्भपात और प्रसव पूर्व नैदानिक तकनीक अधिनियम के प्रावधानो का उल्लंघन करने वालो के लिये अपराध विशेष सजा का प्रस्ताव किया है। इस कदम का उददेश्य मेडीकल डाॅक्टरो को व्यवहारिक समस्याएं पैदा किये बिना लिंग चयन की अनैतिक और अपराधिक प्रथा को रोकने के लिये पीसीपीएनडीटी अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना है। वर्तमान मे अधिनियम के तहत किसी भी उल्लंघन के लिये सजा की मात्रा समान है। लेकिन नए प्रस्ताव जो कंेद्रीय पर्यवेक्षी बोर्ड और फिर संसद की मंजूरी के अधीन है, अल्ट्रासाउंड मशीनो के निर्माताओ के लिये कानून को कठोर बनाने के अलावा प्रमुख और मामूली अपराध को भी वर्गीकृत करते है। लिंग निर्धारण के लिये अल्ट्रासाउंड मशीनो के दुरूपयोग को देश मे प्रतिकूल लिंग अनुपात मे तेज वृद्धि के लिये जिम्मेदार माना जा रहा है। निदान परीक्षण करने के नाम पर लिंग निर्धारण क्लीनिक का उद्भव और प्रसार सिर्फ स्थिति को खराब कर रहा है।