मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक पार्टियां आम जनता को अपने अपने पक्ष में करने के लिए कई लोग लुभावने सपने हथेली पर दिखा रही है। सत्ताधारी सरकारी खजाने को अपना समझ अनाप-शनाप घोषणाएं कर आमजन की गाढ़ी कमाई के पैसे से दोबारा सत्तासीन होने के सपने देख रहे हैं। वहीं विपक्ष आमजन में अपना पक्ष मजबूती से नहीं रख पा रहा है। प्रदेश में व्यापम घोटाले से लगाकर शासकीय अनाज घोटाले को कांग्रेस प्राथमिकता से आमजन के बीच जाकर उठाए तो हो सकता है कांग्रेस की सीटों में बढ़ोतरी हो! लेकिन जनता यह जानती है कि शासकीय अनाज कंट्रोल दुकानें प्रदेश भर में अधिकांश भाजपा एवं कांग्रेसी समर्थकों की ही है। इसीलिए सार्वजनिक कंट्रोल दुकानों से जो कालाबाजारी होती है उसमें 75% भाजपा तो 25% कांग्रेस से संबंधित कंट्रोल संचालक हैं। जिन्होंने वर्तमान में दलाल प्रॉपर्टी ब्रोकर के नाम से प्रसिद्धि पा ली है। ऐसे में आमजन का हित कौन कर सकता है प्रदेश में कोई तीसरी मजबूत राजनीतिक पार्टी नहीं है, जिस पर आमजन विश्वास कर सकें। इसलिए मतदाता वर्षों से सांप नाथ और नाग नाथ के जहर से पीड़ित है पता नहीं प्रजातंत्र में प्रजा के अच्छे दिन कब आएंगे?