व्यापम की तरह राशन कन्ट्रोलियों के विरूद्ध भी आंदोलन हो
रतलाम| नगेन्द्र सिंह झाला
रतलाम नगर में जो सार्वजनिक वितरण (कंट्रोल) राशन दुकाने है। उनमें से मात्र 09 कंट्रोल दुकानों पर जब जिला प्रशासन से सुक्ष्म कार्यवाही की, तो महाभ्रष्टाचार का भण्डाफोड़ हुआ। हालांकि रसूखदार कन्ट्रोलियों सिंडिकेट ने तात्कालिन कलेक्टर बी. चन्द्रशेखर का तबादला करवा दिया। आम गरीबों के राशन को वर्तमान के दलालों ने ओने-पोने दामों में शासकीय अनाज की कालाबाजारी कर दी। जिससे शासन को करोड़ो का चुना लगा। वही कुछ सपेâदपोश राजनीति के दम पर राशन घोटाले को दबाने में लग गये है। तथा शिवराज सरकार के नुमाइंदे सुशासन पर परोक्ष दबाव बनाने में लगे है। ऐसे में आम गरीबों के हक का अनाज डकारने वाले डाकुओं पर पुलिस कार्यवाही होगी क्या…? क्योंकि मार्च 2017 से लेकर जुलाई 2018 याने की एक वर्ष चार माह (16 माह) हो चुका है लेकिन कागजी घोड़े पड़ रहे है, आमजन के पक्ष में दौड़ने में। यदि नेता लोग जिला प्रशासन का सहयोग करें, तो रतलाम ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश से अरबों रूपयों का राशन घोटाला उजागर होगा। लेकिन दुविधा यह हैं, कि शासकीय अनाज की दुकाने अधिकांश नेता या नेताओं के परिजन और सहयोगीयो की है। जिससे गरीबों के अन्न पर न्याय मिलने में देरी हो रही है। चुनावी वर्ष में आमजन बुद्धिजीवियों को आगे आकर, व्यापम घोटाले की तरह कन्ट्रोलियों के विरूद्ध भी जन आंदोलन छेड़ने की आवश्यकता है।