राजेश झाला ए. रज़्ज़ाक
प्रदेश और देश के सत्ताधीश आगामी चुनाव में पुनः सत्ता हथियाने के लिए नित-नई योजना और घोषणाएं कर सरकारी खजाना खाली करने में लगे है। देशवासियों के परिवार में डीजल-पेट्रोल वाहन है। किसी के पास दो पहिया तो किसी के पास तीन या चार पहिया वाहन है। इंसान को आवागमन के लिए पेट्रोल गाड़ी आवश्यक हो गई है। लेकिन सरकार पेट्रोल डीजल के भावों में नरमी नहीं दिखा रही। केन्द्र और राज्यों में भाजपा सरकार होने के बावजूद प्रदेशवासियों को पेट्रोल पर 25 प्रतिशत वेट और 1 प्रतिशत सेस प्रतिलीटर की दर से ग्राहक द्वार भुगतान किया जा रहा है। रसोई गैस-केरोसीन, जलाऊ लकड़ी, कण्डे आदि र्इंधन से इंसान खाना पकाता है। कहने को तो पी. एम. ने उज्जवला योजना चला रखी है। क्या मोदी एवं शिवराज सरकार र्इंसानों की पेट की आग बुझाने के लिए खाद्यान सस्ता करेंगे एवं पेट्रोल डीजल सस्ता करने के लिए एक देश एक दाम की नीति कब अपनायेंगे। नेता जाति धर्म आरक्षण पर वाद-विवाद में लगे हुए है। लेकिन आमजन की रोजमर्रा की उपयोग में आने वाली सामग्री के लिए कोई नेतागिरी करने को तैयार नहीं है। अब समय आ रहा है युवा देश के युवा स्वविवेक से मतदान कर सरकारी अस्थाई सुख सुविधा को त्याग कर पुरूषार्थ कर ऐेसे नैतृत्व के हाथ में देश-प्रदेश की बागडोर दे जो सरकारी खजाने से रोजगार के अवसर प्रदान कर सके । ना कि भोले-भाले लोगों को गरीब बनाकर वोट बैंक बनाने की योजनाएं अमल में लाये।