Visitors Views 446

शासन की लोककल्याणकारी योजनाओं का ग्रामीण क्षेत्रो में नहीं मिल रहा लाभ

रतलाम

 रतलाम | अल्ताफ़ अंसारी की रिपोर्ट

रतलाम जिले के पिपलोदा तहसील की ग्राम पंचायत हतनारा मैं उस समय ग्रामीणों ने हंगामा खड़ा कर दिया जब जनसुनवाई और CM हेल्पलाइन मैं दर्ज शिकायत की सुनवाई के लिए शासन के प्रतिनिधि आए ग्राम वासियों ने पंचायत के नुमाइंदों जिसमें सरपंच उपसरपंच सचिव और मंत्री पर संगीन आरोप लगाए और ग्रामीणों ने पंचायत का मेन गेट लगा दिया तथा जमकर नारेबाजी की और घंटो धरने पर बैठ गए ! यह देख कर सुनवाई पर आए शासन के प्रतिनिधि भी दंग रह गए | ग्रामीणों के इस आक्रोश ने शासन की महत्वकांक्षी और जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर सवालिया निशान खड़े कर दिए ग्रामीणों ने बताया कि BPL का राशन कार्ड प्राप्त करने के लिए अपनी चप्पलें तक घिस गई है और जैसे भूमि पट्टे पाना, प्रधानमंत्री आवास योजना, शौचाल उज्जवला योजनाके तहत रसोई गैस, बुजुर्ग व्यक्ति की जीवन धारा पेंशन अर्जित करना इस पंचायत में उतना ही कठिन है जितना कि रेगिस्तान में पानी |

ग्रामीणों के आक्रोश से यह बात तो सिद्ध हो चुकी कि बुजुर्गों को पेंशन नहीं, अत्यंत गरीब और दरिद्र व्यक्ति को मकान नहीं, शौचालय नहीं और तो और उज्ज्वला योजना के तहत रसोई गैस यह सभी के लिए दूर की कौड़ी के समान है क्योंकि पंचायत में योजनाएं आती है लेकिन क्रियान्वन और परिपालन मैं सरकारी नुमाइंदों से लेकर जनप्रतिनिधि तक की उपेक्षा का शिकार उन्हें होना पड़ता है| भ्रष्टाचारी प्रवृत्ति के कारण शासन की हर योजनाओं के पहले उन्हें काम के बदले दाम की बात का सामना करना पड़ता है एक बुजुर्ग की माने तो उसे पेंशन पाने के लिए अनेकानेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और जनप्रतिनिधियों की दुत्कार भी ग्रामीणों का यह भी कहना है कि यहां जन्मजात रहने वाले लोगों को कुटिया नसीब नहीं अल्प अवधि में आए लोग प्रधानमंत्री आवास का लाभ उठाते हैं जो किसी सांठगांठ का एक नमूना है| गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जहां प्रदेश मैं जन आशीर्वाद और संभल जैसे कार्यक्रमों की रूपरेखा इन्हीं प्रतिनिधियों और शासन के नुमाइंदों के कंधों पर आश्रित होकर की तैयार करते हैं तो इन कार्यक्रमों के क्रियान्वन को मूर्तरूप यह जिम्मेदार कितना देते हैं और सफल और जन उपयोगी बनाते हैं उसका जीवंत उदाहरण है हतनारा ग्राम पंचायत में ग्रामीणों द्वारा शासन के नुमाइंदों और जनप्रतिनिधियों को बंधक बनाकर या यूं कहिए पंचायत का गेट लगाकर उन्हें इस बात का एहसास दिलाते हैं कि जनता ही जनार्दन है और धरने पर बैठ जाते हैं लेकिन कुछ समय बाद समझाइश लॉलीपॉप में आकर शांत भी हो जाते हैं |अब देखना यह होगा कि प्रदेश में चौथी बार सरकार बनाने की मशक्कत में सरकार अनेकानेक कयास लगा रही है अनेक जन हितेषी लोक कल्याणकारी जिसे अनेक नामों से परिभाषित किया गया है योजनाएं तो बना रही है लेकिन उनके प्रयासों पर किस प्रकार से पानी फिरता है यह यहां के ग्रामीणों के आक्रोश को देख कर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है ! अब देखना यह होगा कि इतना कुछ होने के बाद इस पंचायत के प्रति शासन के नुमाइंदों की आंखे कब खुलती है और कब लोगों की सरकार से लगी हुई अपेक्षाएं पूरी होती है !

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Visitors Views 446