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भाजपाई पार्षदों में आपसी घमासान, क्षैत्र का विकास ठप्प, मुरम-चूरी के चक्कर में, नेता भिड़ रहे आपस में

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रतलाम | नगेन्द्र सिंह झाला

लोकतंत्र में जब राजनीति पार्टी सत्ता में आती है तो वह निरंकुश हो जाती है। जिसका उदाहरण रतलाम निगम में देखने को मिला। भाजपा पार्षद एक के बाद एक अपने क्षैत्र की समस्याओं के निराकरण के लिए जनता के साथ जब धरना प्रदर्शन करें। तो जनता द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधियों को भाजपा अनुशासनहीनता की श्रेणी में बता रहे है। भाजपा जिला अध्यक्ष ने भाजपा के तीन पार्षद श्रीमती इन्दूबाला गौखरू, श्रीमती सीमा टांक और जाकीर रावटीवाला को अनुशासन की नसीहत दी। सवाल यह हैं कि रतलाम में वर्षों से निगम में भाजपा की परिषद काबीज है, फिर भी जिम्मेदार कभी निगम अधिकारी को दोषी बताकर जनता से पल्ला झाड़ने की कोशिश करते हैं, तो कभी-कभी भाजपाई आपस में तू-तू-मैं-मैं, में अपना समय बीता रहे है। प्रदेश के सी.एम. बड़ी-बड़ी घोषणा करते है। लेकिन मैदानी हकीकत सभी के सामने है। कांग्रेसी पार्षद चुप है क्योंकि सत्ताधारियों को विपक्षियों के हथियार (धरना, प्रदर्शन, ज्ञापन) आदि अचूक शस्त्रों का इस्तेमाल तो भाजपा जनप्रतिनिधि कर रहे हैं अपनी सरकार प्रशासन के विरूद्ध तो फिर बैचारे विपक्षियों के पास तो सिर्पâ महात्मा गांधी जी का दिया हुआ ‘मौन’ (चुप) ही बचा हैं जिसे कांग्रेसियों ने सम्भालकर रख रखा है। बैचारी जनता के अच्छे दिन कब आयेंगे…?

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