Visitors Views 651

निरंकुश सत्ताधीश कानून का रखे ध्यान

breaking रतलाम

रतलाम| श्रीमती कमलेश चौहान 

विगत दिवस रतलाम में राजनैतिक नाटक में भाजपा के साथ सरकार शासन की कानूनी धाराए साथ थी। वही विपक्षी कांग्रेस सहित अजाक्स-सपॉक्स ने जबरिया कानून हाथ में लेने की कोशिश की। कारण स्पष्ट हैं, जब लोकतंत्र में सत्तापक्ष निरंकुश होने लगता हैं, तो प्रजातंत्र के अन्य प्रेहरी-जनतंत्र की रक्षा की बात करने के लिए कभी-कभी उग्र स्वभाव में आ जाते है। जिस कारण शासन को शांति सुरक्षा के मद्देनजर कभी १४४ धारा का इस्तेमाल करना पड़ता है। और यदि जननेता उक्त कानूनी धारा का उलंघन करता हैं, तो धारा 188 में प्रकरण भी पंजीबद्ध किया जाता है। आमजन धारा 144 से यही आशय निकालते है कि कहीं भी भीड़ समूह का रूप न हो, चार इंसान एक साथ खड़े नहीं रह सकते। आदि मोटे रूप में आमजन 144 धारा का यही अर्थ जानते है। लेकिन सत्ताधारी अपने नेता के कार्यक्रमो में भारी भीड़ ले जा सकते है। यहां तक कि देश की सबसे कर्मठ आंगनवाड़ियों के माध्यम से मौखिक आदेश देकर भीड़ इकट्ठा करवाई जाती है। यहां धारा 144 का निष्क्रिय और शिथिल होना सरकार ओर शासन पर प्रश्न चिन्ह लगाता है। सत्ताधारी के लिए धारा 144 की व्याख्या अलग होती है। जबकि गैर सत्ताधारी और आमजन यदि समूह में देश-प्रदेश हित की चर्चा करें, तो 144 धारा का अर्थ कैसे बदल देते है कुछ रसूखदार..? जब कानून सबके लिए है, तो शासकीय ईमारतों का अनावरण सी.एम. एवं शासकीय सेवकों, को ही कर लेना चाहिए। फिर जिम्मेदार हमारे देश के कानून के साथ क्यों खिलवाड़ करते हैं..? वर्तमान में देश का कानून राजनीति के चक्कर में पंâसता जा रहा है। जिससे प्रजातंत्र का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Visitors Views 651