जन अर्शीवाद यात्रा का स्वागत रतलामियों ने बड़ी ही सहृदयता से किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का रथ शहर में विलम्ब से आया। तब तक ठण्डे मौसम में शहीद चौक स्थित पाण्डाल में संगीत के माध्यम से वातावरण को सौम्य बनाये रखा। श्रोताओं ने आर्केस्ट्रा के आनंद लिए। और देर रात तक अपने सी. एम. मामाजी का इंतजार करते रहे। रात्रि 12 बजे बाद शिव का दरबार लगा। और राजा ने प्रजा की कुशल क्षैत्र पूछी। श्री शिवराज ने अपने चिरअंदाज में जनता से संवाद स्थापित करते हुए, सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं के लाभ का जिक्र किया। हालांकि कहीं-कहीं आडम्बर भी नजर आया जिसमें प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को छुपाने के लिए रतलामी गंदगी को साफ सुथरे टेण्ट से ढंककर अपनी कमजोरी पर पर्दा डाला गया। जनचर्चा यह थी कि अच्छा तो यह होता कि शिवराज सिंह जी सहित सरकार के जिम्मेदारों को वास्तविकताओं से रूबरू होने देते। वर्तमान में बेरोजगारी के दौर में किसी भी पार्टी के पास कोई कार्यकर्ता नहीं, बल्कि कामकर्ताओं की आवश्यकता है। जो देश में बहुतायत में सस्ते में मिल जाते है। जिन्हें नारे लगाने से लगाकर अन्य छोटे-बड़े कार्य योग्तानुसार दिये जाते है। ‘‘जन अर्शीवाद यात्रा’’ नामक शीर्षक अपने-आप में परिपूर्ण है। क्योंकि लोग अलग-अलग बिंदुओं , अलग-अलग नजरिये से सोचते है, समझते है। जन अर्शीवाद में कभी नेताजी जनता से आर्शीवाद लेने की मुद्रा में होते है, तो अधिकांशतः नेताजी ही जनता को आर्शीवाद देते रहते है। खैर इस आर्शीवाद के आदान-प्रदान में राजनैतिक गतिविधियां तेज हो गई है। दिग्गी कांग्रेस ने प्रदेश को बदहाल कर प्रदेशवासियों को सड़क, बिजली, पानी से तरसा दिया था। वहीं शिवराज सरकार ने प्रदेश के गढ्डे भरे, अंधेरा मिटाया, प्यास बुझाई। जिसका शुक्रिया एवं एहसान प्रदेशवासियों ने अपने मतो का दान कर चुका दिया। वर्तमान में रतलामी विधायक चेतन्य काश्यप जैसे सेवाभावी जनप्रतिनिधि ही चुनावी वैतरणी पार करने में सफल हो पायेंगे।
स्मण रहे- वर्षों पहले कांग्रेस के कद्दावर नेता एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अर्जुन सिंह जी ने भी प्रदेश में सबसे पहले गरीब बस्तियों में एक बत्ती कनेक्शन दिये। तेुदुपत्ता, रिक्शा चालकों सहित कई गरीब हितग्राहियों के लिए लोक कल्याणकारी योजनाओं को धरातलीय अमलीजामा पहनाया। लेकिन कांग्रेस के दिग्गीराज ने प्रदेश कर्मचारियों की कमर तोड़ दी। अर्थात् कई कर्मचारी विरोधी नीतियों को लागू किया। परिणाम स्वरूप प्रदेशवासी कांग्रेस को भूल गये। वर्तमान में बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई से आमजन में रोष व्याप्त है। ऐसी स्थिति में भाजपा से मतदाताओं की तिरछी नजर, आने वाले चुनावी परिणाम पर निश्चित रूप से प्रभाव डाल सकती है।